content is merely information to let you know about disease is not entitled to be treatment
यह वाधि मेरुरज्जु से आरभ होकर दो भागो में विभक्त्त हो नितम्ब इसके बाद कटि ऊरु प्रदेश , उसका सरक जाना ,किसी प्रकार का आघात होना ,झटका आना ,ज्यादा भारी वजन उठना ,ज्यादा लबे समय तक गलत तरीके से बैठना ,इसके कई कारणो में विटामिन की कमी ,(uric Acid ) का जमाव भी हो सकता है! जानू ,जघा ,और पैरो में क्रमश : जकड़ाहट, वेदना ,सुई चुभोने की सी पीडा के साथ होती है ! इस नाड़ी में दर्द का मुख्य कारण रीढ़ की अस्थियो की श्रखला में किसी प्रकार की विकर्ति ,का होना इस वाधि में रोगी को चलने फ़िरने ,उठने बैठने में तकलीफ है ! बार बार इन प्रदेशो में रोगी को स्पदन होता है !
इस रोग में लक्षण कुपित वात या वात - कफ का प्रकोप हो तो तन्द्रा ,शरीर में भारीपन और भोजन में अरुचि लक्षण है !
इस रोग में रोगी का रक्त मोक्षण कराना चाहिये !
इस रोग में पाचन तंत्र ,मूत्र तंत्र त्तथा डायफार्म के रीफ्लेक्स बिन्दुओ पर भी दबाव डालना चाहिये !ऐडियोे के मध्य भाग पर साईटिका नाड़ी तथा उसके किनारे पर साईटिका बेण्ड के केंद पर दबाव देना चाहिये !
पाँव की एड़ी के पिछले भाग के आठ ौगल ऊपर हल्के हाथ से दबाव देवे !
हाथों तथा पाँवों की अगुलियों के मध्य भाग से कलाई ,पाँव तक गहरा दबाव दिया जाना चाहिए !
तर्जनी अगुली तथा अगुठे के मध्य बिन्दुओ पर भी दबाव अवश्य देना चाहिए ! तलवे में जिस स्थान पर एड़ी का हिस्सा शुरू होता है यहाँ अगुठे द्वारा प्रेशर दे सकते है !चुकि एड़ी का भाग सख्त होता है ! इसलिए रबड़ या लकड़ी के किसी उपकरण से भी प्रैशर दिया जा सकता है ! कमर पर स्पाईन रोलर हल्के दबाव के साथ तथा वाईब्रेटर द्वारा गर्म सेक का उपयोग लाभदायक होता है !तथा अति शीघ् आराम के लिए 5 मिनिट व्रजासन करना चाहिए ! इन सब बिन्दुओ को अगुठे से भी दबाया जा सकता है !
यह वाधि मेरुरज्जु से आरभ होकर दो भागो में विभक्त्त हो नितम्ब इसके बाद कटि ऊरु प्रदेश , उसका सरक जाना ,किसी प्रकार का आघात होना ,झटका आना ,ज्यादा भारी वजन उठना ,ज्यादा लबे समय तक गलत तरीके से बैठना ,इसके कई कारणो में विटामिन की कमी ,(uric Acid ) का जमाव भी हो सकता है! जानू ,जघा ,और पैरो में क्रमश : जकड़ाहट, वेदना ,सुई चुभोने की सी पीडा के साथ होती है ! इस नाड़ी में दर्द का मुख्य कारण रीढ़ की अस्थियो की श्रखला में किसी प्रकार की विकर्ति ,का होना इस वाधि में रोगी को चलने फ़िरने ,उठने बैठने में तकलीफ है ! बार बार इन प्रदेशो में रोगी को स्पदन होता है !
इस रोग में लक्षण कुपित वात या वात - कफ का प्रकोप हो तो तन्द्रा ,शरीर में भारीपन और भोजन में अरुचि लक्षण है !
इस रोग में पाचन तंत्र ,मूत्र तंत्र त्तथा डायफार्म के रीफ्लेक्स बिन्दुओ पर भी दबाव डालना चाहिये !ऐडियोे के मध्य भाग पर साईटिका नाड़ी तथा उसके किनारे पर साईटिका बेण्ड के केंद पर दबाव देना चाहिये !
पाँव की एड़ी के पिछले भाग के आठ ौगल ऊपर हल्के हाथ से दबाव देवे !
हाथों तथा पाँवों की अगुलियों के मध्य भाग से कलाई ,पाँव तक गहरा दबाव दिया जाना चाहिए !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3Vpz95gmJObw_jiMV-R4qaTMNSYqSHzQ11t2viLZ3nNdhQq9i3yljP0Gcz8662Rr3C_Ctb_-owtHPjCROsTAzIdHuo2POjS52zMUYltmCuef8AYGNzUQ4-ot4J7ahDKS0py7WV6EJ8Ll6/s200/v.jpg)
अपनी स्वास्थ समस्या हमे बताये !