शक्ति रसायन :'- द्रव्य कामुकता
आधुनिक जीवनशैली में खान पान की पद्तियो में आयी अनियमितता बदले व बिगड़े हुय रहन - सहन तथा वातावरण के प्रदूषण के कारण शरीर पर होने वाले प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष परिणामो में शरीर की सप्त धातुओं का निरन्तर क्षय होता रहता है ! जिसका परिणाम होता है ! शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति का हास् इसीलिए आवश्यक है ! कि शरीर की व्याधि श्रमत्व बनी रहे आवश्यक है ! कि आहार के साथ पूरक द्रव्यों का नियमित सेवन किया जाए इससे न केवल शरीर के घटको को आवश्यक ऊर्जा मिलती है बल्कि मानस भावो का भी पोषण होता है ! क्योंकि आज की जीवन शैली में गतिशील जीवन के कारण तनाव ,चिंता व इनके कारण आने वाली शारीरिक व मानसिक थकान के कारण शरीर की ऊर्जा क्षमता कम होती है ! ऐसा न हो इसलिए युगानुरूप महर्षि बद्री फार्मास्युटिकल्स ने सप्त धातु पोषक , ओजोवर्द्धक रसायन कल्प तैयार किया शक्ति रसायन अवलेह !
शक्ति रसायन अवलेह अपने विशेष प्रकृति प्रदत औषधिय गुणों के कारण यह कल्प शारीरिक शक्ति रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हुय यौन शक्ति (Sex power Increase Medicine)बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है ! यह रसायन कल्प शरीर के रस धातु से लेकर शुक्र धातु पर्यन्त पोषण कर ओज बढ़ाता है ! महर्षि बद्री फार्मास्युटिकल्स ने अपने सतत अनुसंधान के उपरांत ऋषि प्रदत हजारो साल पुराने ग्रन्थों में उल्लेखित दुर्लभ जड़ी बूटी व खनिज पदार्थो के सयोंग से यह कल्प तैयार किया है ! शक्ति रसायन अवलेह में है !
स्वर्ण भस्म : जिस प्रकार स्वर्ण का सामजिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है ! ठीक उसी प्रकार शारीरिक व्याधि दूर करने में भी वह महत्व रखता है ! आयुर्वेद ग्रन्थों के अनुसार स्वर्ण में सभी व्याधियों को दूर करने की शक्ति होती है ! यह ह्रदय को पोषण प्रदान कर ओज बढ़ाने में सहायक है ! तथा यह रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्द्धक (Immunity power Increase Medicine)प्रबल रसायन व त्रिदोष शामक है !तथा शरीर में उत्पत्र फ्री रेडिकल्स को रोककर एंटी ओक्सीडेन्ट का कार्य करती है ! व रक्त वाहिनियों को कठिन होने से रोकती है !
रजत : मस्तिष्क व वात वाहनियों का पोषण कर जो उत्तम मेधावर्द्धक तेज व सतर्क करती है ! विशेषकर शारीरिक परिश्रम व मानसिक चिंता ,भय अधिक अध्ययन आदि से वात बढ़ जाने से मस्तिष्क की शक्ति कम होती है ऐसे में यह बहुत लाभकारी होती है ! तथा साधक पित्त में आई विकृति को दूर कर मेधा शक्ति को मजबूत करती है !
अभ्रक भस्म :- जो योगवाही ह्रदय वाहिनी पोषक , सोम्य उत्तेजक व श्वसन वह संस्थान को बल देती है ! ह्रदय की दुर्बलता को दूर करने में बहुत उपयोगी है तथा चिरस्थायी श्वास कास के लिए उत्तम रसायन है !
बंग भस्म :- वात वाहिनियों व मांसपेशियों को शक्ति प्रदान कर शुकवहस्त्रोतस मजबूत करती है ! बंग भस्म का प्रभाव शुक्र संस्थान पर विशेष रूप से होता है ! किन्ही कारणों से वात वाहिनी सिरा व मासपेशियों में शिथिलता आने पर दूर करती है इसके साथ यह स्त्रियों में यह प्रदर , कमर दर्द , व गर्भाशय विकारो में उपयोगी है ! तथा प्रमेह में उत्तम लाभकारी होता है !
मंडूर भस्म :- जो यकृत विकारो को ठीक कर रक्त वर्द्धक व रक्त प्रसादक करने में सहायक होती है ! मंडूर भस्म लौह भस्म की अपेक्षा अधिक सोम्य होती है ! अतः एवं बच्चो , गर्भवती स्त्रियोंव कोमल प्रकृति वालो के लिए अधिक क्षेयस्कर होती है ! तथा मंडूर भस्म पाण्डु व कामला में विकृत रंजक पित्त को सुधार करके रक्ताणुओं को बढ़ाती है !
शुद्ध शिलाजीत :- महर्षि आत्रेय के अनुसार संसार में ऐसा कोई साध्य रोग नही है 'जो शिलाजीत के विधिपूर्वक सेवन से नष्ट हो ! बलवीर्य वर्द्धक होने के साथ शुक्रवह व मूत्रवह संस्थान को अच्छा करता है !
मोती पिष्टी :;- कैल्शियम की कमी में उत्पत्र विकारो में उपयोगी व ह्रदय का पोषण करती है !
आमलकी रसायन : - यह रसायन , विटामिन सी की पूर्ति व आँखों को बल प्रदान करती है ! तथा इसके नियमित सेवन से रसायन के सम्पूर्ण गुणों की प्राप्ति होती है !
केसर : यह मस्तिक दौबल्य नाड़ीशूल में उपयोगी होता है ! व ह्रदय को बल देता है व शरीर का कांति वर्द्धन करता है !
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